हसरत पर शेर
दिल के खज़ाने में नाकाम
ख़्वाहिशों की कभी कमी नहीं रहती। ये हसरतें यादों की शक्ल में उदास करने के बहाने ढूंढती रहती हैं। उर्दू की क्लासिकी शायरी इन हसरतों के बयान से भरी पड़ी है। ज़िन्दगी के किसी न किसी लम्हे में शायर उस दौर को लफ़्ज़ देना नहीं भूलता जब हसरतें ही उसकी ज़िन्दगी का वाहिद सहारा रह गई हों। हसरत शायरी का यह इन्तिख़ाब पेश हैः
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
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इन हसरतों से कह दो कहीं और जा बसें
इतनी जगह कहाँ है दिल-ए-दाग़-दार में
मैं तो ग़ज़ल सुना के अकेला खड़ा रहा
सब अपने अपने चाहने वालों में खो गए
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इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं
दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद
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आरज़ू है कि तू यहाँ आए
और फिर उम्र भर न जाए कहीं
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अब दिल की तमन्ना है तो ऐ काश यही हो
आँसू की जगह आँख से हसरत निकल आए
कुछ नज़र आता नहीं उस के तसव्वुर के सिवा
हसरत-ए-दीदार ने आँखों को अंधा कर दिया
सब ख़्वाहिशें पूरी हों 'फ़राज़' ऐसा नहीं है
जैसे कई अशआर मुकम्मल नहीं होते
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टैग्ज़ : आरज़ूऔर 1 अन्य
आरज़ू हसरत और उम्मीद शिकायत आँसू
इक तिरा ज़िक्र था और बीच में क्या क्या निकला
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ख़्वाब, उम्मीद, तमन्नाएँ, तअल्लुक़, रिश्ते
जान ले लेते हैं आख़िर ये सहारे सारे
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टैग्ज़ : आरज़ूऔर 3 अन्य
किस किस तरह की दिल में गुज़रती हैं हसरतें
है वस्ल से ज़ियादा मज़ा इंतिज़ार का
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टैग्ज़ : इंतिज़ारऔर 1 अन्य
कटती है आरज़ू के सहारे पे ज़िंदगी
कैसे कहूँ किसी की तमन्ना न चाहिए
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टैग्ज़ : आरज़ूऔर 2 अन्य
आरज़ू वस्ल की रखती है परेशाँ क्या क्या
क्या बताऊँ कि मेरे दिल में है अरमाँ क्या क्या
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दिल में वो भीड़ है कि ज़रा भी नहीं जगह
आप आइए मगर कोई अरमाँ निकाल के
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अरमान वस्ल का मिरी नज़रों से ताड़ के
पहले ही से वो बैठ गए मुँह बिगाड़ के
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बाद मरने के भी छोड़ी न रिफ़ाक़त मेरी
मेरी तुर्बत से लगी बैठी है हसरत मेरी
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टैग्ज़ : आरज़ूऔर 1 अन्य
ज़िंदगी की ज़रूरतों का यहाँ
हसरतों में शुमार होता है
हसरतों का हो गया है इस क़दर दिल में हुजूम
साँस रस्ता ढूँढती है आने जाने के लिए
ख़्वाहिशों ने डुबो दिया दिल को
वर्ना ये बहर-ए-बे-कराँ होता
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टैग्ज़ : आरज़ूऔर 2 अन्य
एक भी ख़्वाहिश के हाथों में न मेहंदी लग सकी
मेरे जज़्बों में न दूल्हा बन सका अब तक कोई
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टैग्ज़ : आरज़ूऔर 1 अन्य
यार पहलू में है तन्हाई है कह दो निकले
आज क्यूँ दिल में छुपी बैठी है हसरत मेरी
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टैग्ज़ : आरज़ूऔर 1 अन्य
जीने वालों से कहो कोई तमन्ना ढूँडें
हम तो आसूदा-ए-मंज़िल हैं हमारा क्या है
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टैग्ज़ : आरज़ूऔर 1 अन्य
मय-कदे को जा के देख आऊँ ये हसरत दिल में है
ज़ाहिद उस मिट्टी की उल्फ़त मेरी आब-ओ-गिल में है
फ़क़त आँखें चराग़ों की तरह से जल रही हैं
किसी की दस्तरस में है कहाँ कोई सितारा
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टैग्ज़ : इंतिज़ारऔर 1 अन्य
डूबता हूँ तो मुझे हाथ कई मिलते हैं
कितनी हसरत से किनारों की तरफ़ देखता हूँ