जिगर जालंधरी
ग़ज़ल 13
अशआर 2
हसरतों का हो गया है इस क़दर दिल में हुजूम
साँस रस्ता ढूँढती है आने जाने के लिए
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उस ज़ुल्फ़ की तौसीफ़ बताई नहीं जाती
इक लम्बी कहानी है सुनाई नहीं जाती
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