इस्माइल मेरठी
ग़ज़ल 49
नज़्म 27
अशआर 60
क्या हो गया इसे कि तुझे देखती नहीं
जी चाहता है आग लगा दूँ नज़र को मैं
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
बद की सोहबत में मत बैठो इस का है अंजाम बुरा
बद न बने तो बद कहलाए बद अच्छा बदनाम बुरा
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
दोस्ती और किसी ग़रज़ के लिए
वो तिजारत है दोस्ती ही नहीं
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
तारीफ़ उस ख़ुदा की जिस ने जहाँ बनाया
कैसी ज़मीं बनाई क्या आसमाँ बनाया
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
कभी भूल कर किसी से न करो सुलूक ऐसा
कि जो तुम से कोई करता तुम्हें नागवार होता
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए