याद पर शेर
‘याद’ को उर्दू शाइरी
में एक विषय के तौर पर ख़ास अहमिय हासिल है । इस की वजह ये है कि नॉस्टेलजिया और उस से पैदा होने वाली कैफ़ीयत, शाइरों को ज़्यादा रचनात्मकता प्रदान करती है । सिर्फ़ इश्क़-ओ-आशिक़ी में ही ‘याद’ के कई रंग मिल जाते हैं । गुज़रे हुए लम्हों की कसक हो या तल्ख़ी या कोई ख़ुश-गवार लम्हा सब उर्दू शाइरी में जीवन के रंगों को पेश करते हैं । इस तरह की कैफ़ियतों से सरशार उर्दू शाइरी का एक संकलन यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है ।
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए
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टैग्ज़ : इश्क़और 6 अन्य
कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब
आज तुम याद बे-हिसाब आए
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टैग्ज़ : उदासीऔर 3 अन्य
उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
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टैग्ज़ : इश्क़और 5 अन्य
एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
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टैग्ज़ : फ़ेमस शायरीऔर 1 अन्य
अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ
अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ
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टैग्ज़ : फ़ेमस शायरीऔर 3 अन्य
शाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास
दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं
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टैग्ज़ : उदासीऔर 4 अन्य
याद-ए-माज़ी 'अज़ाब है या-रब
छीन ले मुझ से हाफ़िज़ा मेरा
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टैग्ज़ : अज़ाबऔर 3 अन्य
चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है
हम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है
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टैग्ज़ : इश्क़और 5 अन्य
दिल धड़कने का सबब याद आया
वो तिरी याद थी अब याद आया
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टैग्ज़ : इश्क़और 3 अन्य
क्या सितम है कि अब तिरी सूरत
ग़ौर करने पे याद आती है
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
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टैग्ज़ : इश्क़और 3 अन्य
नहीं आती तो याद उन की महीनों तक नहीं आती
मगर जब याद आते हैं तो अक्सर याद आते हैं
आज इक और बरस बीत गया उस के बग़ैर
जिस के होते हुए होते थे ज़माने मेरे
तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं
सोचता हूँ कि उस की याद आख़िर
अब किसे रात भर जगाती है
तुम ने किया न याद कभी भूल कर हमें
हम ने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया
तसद्दुक़ इस करम के मैं कभी तन्हा नहीं रहता
कि जिस दिन तुम नहीं आते तुम्हारी याद आती है
वफ़ा करेंगे निबाहेंगे बात मानेंगे
तुम्हें भी याद है कुछ ये कलाम किस का था
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टैग्ज़ : फ़ेमस शायरीऔर 2 अन्य
ये इल्म का सौदा ये रिसाले ये किताबें
इक शख़्स की यादों को भुलाने के लिए हैं
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टैग्ज़ : इल्मऔर 1 अन्य
वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों का
जो पिछली रात से याद आ रहा है
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टैग्ज़ : दोस्तऔर 1 अन्य
वही फिर मुझे याद आने लगे हैं
जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं
तुम भूल कर भी याद नहीं करते हो कभी
हम तो तुम्हारी याद में सब कुछ भुला चुके
दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने न दिया
जब चली सर्द हवा मैं ने तुझे याद किया
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टैग्ज़ : इश्क़और 3 अन्य
ग़रज़ कि काट दिए ज़िंदगी के दिन ऐ दोस्त
वो तेरी याद में हों या तुझे भुलाने में
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टैग्ज़ : ज़िंदगीऔर 1 अन्य
याद रखना ही मोहब्बत में नहीं है सब कुछ
भूल जाना भी बड़ी बात हुआ करती है
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टैग्ज़ : इश्क़और 3 अन्य
इस ज़िंदगी में इतनी फ़राग़त किसे नसीब
इतना न याद आ कि तुझे भूल जाएँ हम
उन का ज़िक्र उन की तमन्ना उन की याद
वक़्त कितना क़ीमती है आज कल
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टैग्ज़ : इश्क़और 3 अन्य
कुछ ख़बर है तुझे ओ चैन से सोने वाले
रात भर कौन तिरी याद में बेदार रहा
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टैग्ज़ : जुदाईऔर 2 अन्य
याद उसे इंतिहाई करते हैं
सो हम उस की बुराई करते हैं
अब तो हर बात याद रहती है
ग़ालिबन मैं किसी को भूल गया
याद उस की इतनी ख़ूब नहीं 'मीर' बाज़ आ
नादान फिर वो जी से भुलाया न जाएगा
''आप की याद आती रही रात भर''
चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर
जाते हो ख़ुदा-हाफ़िज़ हाँ इतनी गुज़ारिश है
जब याद हम आ जाएँ मिलने की दुआ करना
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टैग्ज़ : दुआऔर 1 अन्य
अब तो उन की याद भी आती नहीं
कितनी तन्हा हो गईं तन्हाइयाँ
इक अजब हाल है कि अब उस को
याद करना भी बेवफ़ाई है
कोई वीरानी सी वीरानी है
दश्त को देख के घर याद आया
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टैग्ज़ : घरऔर 1 अन्य
वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो कि न याद हो
वही यानी वादा निबाह का तुम्हें याद हो कि न याद हो
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टैग्ज़ : इश्क़और 5 अन्य
चोरी चोरी हम से तुम आ कर मिले थे जिस जगह
मुद्दतें गुज़रीं पर अब तक वो ठिकाना याद है
जाते जाते आप इतना काम तो कीजे मिरा
याद का सारा सर-ओ-सामाँ जलाते जाइए
तुम से छुट कर भी तुम्हें भूलना आसान न था
तुम को ही याद किया तुम को भुलाने के लिए
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टैग्ज़ : इश्क़और 1 अन्य
तुम्हारी याद में जीने की आरज़ू है अभी
कुछ अपना हाल सँभालूँ अगर इजाज़त हो
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टैग्ज़ : आरज़ूऔर 1 अन्य
ज़रा सी बात सही तेरा याद आ जाना
ज़रा सी बात बहुत देर तक रुलाती थी
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टैग्ज़ : इश्क़और 1 अन्य
सुना है हमें वो भुलाने लगे हैं
तो क्या हम उन्हें याद आने लगे हैं
वो नहीं भूलता जहाँ जाऊँ
हाए मैं क्या करूँ कहाँ जाऊँ
आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा
आज फिर याद कोई चोट पुरानी आई
किसी सबब से अगर बोलता नहीं हूँ मैं
तो यूँ नहीं कि तुझे सोचता नहीं हूँ मैं
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टैग्ज़ : इश्क़और 2 अन्य
दुनिया-ए-तसव्वुर हम आबाद नहीं करते
याद आते हो तुम ख़ुद ही हम याद नहीं करते
थक गया मैं करते करते याद तुझ को
अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ
जिस को तुम भूल गए याद करे कौन उस को
जिस को तुम याद हो वो और किसे याद करे