ग़म पर शेर
ग़म हमारी ज़िंदगी का एक
अनिवार्य रंग है और इस को कई तरह से स्थायित्व हासिल है । हालाँकि ख़ुशी भी हमारी ज़िंदगी का ही एक रंग है लेकिन इस को उस तरह से स्थायित्व हासिल नहीं है । उर्दू शायरी में ग़म-ए-दौराँ, ग़म-ए-जानाँ, ग़म-ए-इश्क़, गम-ए-रोज़गार जैसे शब्द-संरचना या मिश्रित शब्द-संरचना का प्रयोग अधिक होता है । उर्दू शायरी का ये रूप वास्तव में ज़िंदगी का एक दुखद वर्णन है । विरह या जुदाई सिर्फ़ आशिक़ का अपने माशूक़ से भौतिक-सुख या शारीरिक स्पर्श का न होना ही नहीं बल्कि इंसान की बद-नसीबी / महरूमी का रूपक है हमारा यह चयन ग़म और दुख के व्यापक क्षेत्र की एक सैर है।
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
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टैग्ज़ : उम्मीदऔर 4 अन्य
कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब
आज तुम याद बे-हिसाब आए
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टैग्ज़ : उदासीऔर 3 अन्य
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे
क़ैद-ए-हयात ओ बंद-ए-ग़म अस्ल में दोनों एक हैं
मौत से पहले आदमी ग़म से नजात पाए क्यूँ
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टैग्ज़ : ज़िंदगीऔर 1 अन्य
ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ
मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया
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टैग्ज़ : इश्क़और 3 अन्य
अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे
बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे
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टैग्ज़ : उदासीऔर 3 अन्य
मेरी क़िस्मत में ग़म गर इतना था
दिल भी या-रब कई दिए होते
ज़माने भर के ग़म या इक तिरा ग़म
ये ग़म होगा तो कितने ग़म न होंगे
ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो
नश्शा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें
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टैग्ज़ : दुनियाऔर 1 अन्य
ग़म मुझे देते हो औरों की ख़ुशी के वास्ते
क्यूँ बुरे बनते हो तुम नाहक़ किसी के वास्ते
पत्थर के जिगर वालो ग़म में वो रवानी है
ख़ुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है
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टैग्ज़ : फ़ेमस शायरीऔर 1 अन्य
ऐ ग़म-ए-ज़िंदगी न हो नाराज़
मुझ को आदत है मुस्कुराने की
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो
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टैग्ज़ : जगजीत सिंहऔर 1 अन्य
इस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई की
आज पहली बार उस से मैं ने बेवफ़ाई की
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टैग्ज़ : जुदाईऔर 2 अन्य
मुसीबत और लम्बी ज़िंदगानी
बुज़ुर्गों की दुआ ने मार डाला
ग़म-ए-हस्ती का 'असद' किस से हो जुज़ मर्ग इलाज
शम्अ हर रंग में जलती है सहर होते तक
मैं रोना चाहता हूँ ख़ूब रोना चाहता हूँ मैं
फिर उस के बाद गहरी नींद सोना चाहता हूँ मैं
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टैग्ज़ : आब दीदाऔर 3 अन्य
उन का ग़म उन का तसव्वुर उन की याद
कट रही है ज़िंदगी आराम से
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टैग्ज़ : तसव्वुरऔर 1 अन्य
इक इश्क़ का ग़म आफ़त और उस पे ये दिल आफ़त
या ग़म न दिया होता या दिल न दिया होता
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टैग्ज़ : इश्क़और 1 अन्य
जब तुझे याद कर लिया सुब्ह महक महक उठी
जब तिरा ग़म जगा लिया रात मचल मचल गई
ग़म है न अब ख़ुशी है न उम्मीद है न यास
सब से नजात पाए ज़माने गुज़र गए
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टैग्ज़ : उदासीऔर 2 अन्य
ग़म अगरचे जाँ-गुसिल है प कहाँ बचें कि दिल है
ग़म-ए-इश्क़ गर न होता ग़म-ए-रोज़गार होता
ये ग़म नहीं है कि हम दोनों एक हो न सके
ये रंज है कि कोई दरमियान में भी न था
सुकून दे न सकीं राहतें ज़माने की
जो नींद आई तिरे ग़म की छाँव में आई
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टैग्ज़ : नींदऔर 1 अन्य
क्या कहूँ किस तरह से जीता हूँ
ग़म को खाता हूँ आँसू पीता हूँ
एक वो हैं कि जिन्हें अपनी ख़ुशी ले डूबी
एक हम हैं कि जिन्हें ग़म ने उभरने न दिया
इलाही एक ग़म-ए-रोज़गार क्या कम था
कि इश्क़ भेज दिया जान-ए-मुब्तला के लिए
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टैग्ज़ : इश्क़और 1 अन्य
तुझ को पा कर भी न कम हो सकी बे-ताबी-ए-दिल
इतना आसान तिरे इश्क़ का ग़म था ही नहीं
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टैग्ज़ : इश्क़और 4 अन्य
अरे ओ आसमाँ वाले बता इस में बुरा क्या है
ख़ुशी के चार झोंके गर इधर से भी गुज़र जाएँ
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टैग्ज़ : ख़ुदाऔर 1 अन्य
अगर मौजें डुबो देतीं तो कुछ तस्कीन हो जाती
किनारों ने डुबोया है मुझे इस बात का ग़म है
हम को किस के ग़म ने मारा ये कहानी फिर सही
किस ने तोड़ा दिल हमारा ये कहानी फिर सही
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टैग्ज़ : इश्क़और 3 अन्य
उन का ग़म उन का तसव्वुर उन के शिकवे अब कहाँ
अब तो ये बातें भी ऐ दिल हो गईं आई गई
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टैग्ज़ : इश्क़और 5 अन्य
अश्क-ए-ग़म दीदा-ए-पुर-नम से सँभाले न गए
ये वो बच्चे हैं जो माँ बाप से पाले न गए
ग़म से बिखरा न पाएमाल हुआ
मैं तो ग़म से ही बे-मिसाल हुआ
मुझे ख़बर नहीं ग़म क्या है और ख़ुशी क्या है
ये ज़िंदगी की है सूरत तो ज़िंदगी क्या है
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टैग्ज़ : ख़ुशीऔर 1 अन्य
जम्अ' हम ने किया है ग़म दिल में
इस का अब सूद खाए जाएँगे
ग़म की तौहीन न कर ग़म की शिकायत कर के
दिल रहे या न रहे अज़मत-ए-ग़म रहने दे
मिरी ज़िंदगी पे न मुस्कुरा मुझे ज़िंदगी का अलम नहीं
जिसे तेरे ग़म से हो वास्ता वो ख़िज़ाँ बहार से कम नहीं
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टैग्ज़ : ख़िज़ाँऔर 2 अन्य
दर्द ओ ग़म दिल की तबीअत बन गए
अब यहाँ आराम ही आराम है
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टैग्ज़ : दर्दऔर 1 अन्य
ग़म है आवारा अकेले में भटक जाता है
जिस जगह रहिए वहाँ मिलते-मिलाते रहिए
'अज़ीम लोग थे टूटे तो इक वक़ार के साथ
किसी से कुछ न कहा बस उदास रहने लगे
ग़म-ए-दिल अब किसी के बस का नहीं
क्या दवा क्या दुआ करे कोई
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टैग्ज़ : दुआऔर 1 अन्य
दिल गया रौनक़-ए-हयात गई
ग़म गया सारी काएनात गई
ज़िंदगी कितनी मसर्रत से गुज़रती या रब
ऐश की तरह अगर ग़म भी गवारा होता
तुम अज़ीज़ और तुम्हारा ग़म भी अज़ीज़
किस से किस का गिला करे कोई
ग़मों से बैर था सो हम ने ख़ुद-कुशी कर ली
शजर गिरा के परिंदों से इंतिक़ाम लिया
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टैग्ज़ : ख़ुदकुशीऔर 1 अन्य
कौन किसी का ग़म खाता है
कहने को ग़म-ख़्वार है दुनिया