हादसा पर शेर
ज़िन्दगी कभी-कभी इन्सान
को उन हालात के मुक़ाबिल कर देती है जिनका सामना करने के लिए वह तैयार नहीं होता। ऐसे हादसे परेशान तो करते हैं लेकिन दुनिया में जीने के आदाब और जीतने के तरीक़े भी सिखा जाते हैं। ऐसे तजुर्बे शायरों को भी बहुत कुछ दे जाते हैं जिन्हें लफ़्ज़ों में ढालने के फ़न उसके पास होता है। ज़िन्दगी के ऐसे ही लम्हों का आइना होती है हादसा शायरी। आइये इधर भी एक निगाह करते हैं ।
ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने
लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई
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वक़्त करता है परवरिश बरसों
हादिसा एक दम नहीं होता
किस दर्जा दिल-शिकन थे मोहब्बत के हादसे
हम ज़िंदगी में फिर कोई अरमाँ न कर सके
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ज़िंदगी इक हादसा है और कैसा हादसा
मौत से भी ख़त्म जिस का सिलसिला होता नहीं
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तुम अभी शहर में क्या नए आए हो
रुक गए राह में हादसा देख कर
हमारे पेश-ए-नज़र मंज़िलें कुछ और भी थीं
ये हादसा है कि हम तेरे पास आ पहुँचे
'बानी' ज़रा सँभल के मोहब्बत का मोड़ काट
इक हादसा भी ताक में होगा यहीं कहीं
उन्हें सदियों न भूलेगा ज़माना
यहाँ जो हादसे कल हो गए हैं
हर नए हादसे पे हैरानी
पहले होती थी अब नहीं होती
वो हादसे भी दहर में हम पर गुज़र गए
जीने की आरज़ू में कई बार मर गए
किसे ख़बर थी कि ये वाक़िआ भी होना था
कि खेल खेल में इक हादसा भी होना था
रंगीनी-ए-हयात बढ़ाने के वास्ते
पड़ती है हादसों की ज़रूरत कभी कभी
तस्वीर-ए-ज़िंदगी में नया रंग भर गए
वो हादसे जो दिल पे हमारे गुज़र गए
हादसे राह के ज़ेवर हैं मुसाफ़िर के लिए
एक ठोकर जो लगी है तो इरादा न बदल
बस्तियों में होने को हादसे भी होते हैं
पत्थरों की ज़द पर कुछ आईने भी होते हैं