वक़्त पर 20 बेहतरीन शेर
“वक़्त वक़्त की बात होती
है” ये मुहावरा आप सबने सुना होगा. जी हाँ वक़्त का सफ़्फ़ाक बहाव ही ज़िंदगी को नित-नई सूरतों से दो चार करता है. कभी सूरत ख़ुशगवार होती है और कभी तकलीफ़-दह. हम सब वक़्त के पंजे में फंसे हुए हैं. तो आइए वक़्त को ज़रा कुछ और गहराई में उतर कर देखें और समझें. शायरी का ये इंतिख़ाब वक़्त की एक गहरी तख़्लीक़ी तफ़हीम का दर्जा रखता है.
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सुब्ह होती है शाम होती है
उम्र यूँही तमाम होती है
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टैग्ज़: फ़ेमस शायरीऔर 2 अन्य
इक साल गया इक साल नया है आने को
पर वक़्त का अब भी होश नहीं दीवाने को
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टैग्ज़: नया सालऔर 1 अन्य
अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना
हर इक दरिया हज़ारों साल का अफ़्साना लिखता है
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टैग्ज़: दरियाऔर 2 अन्य
या वो थे ख़फ़ा हम से या हम हैं ख़फ़ा उन से
कल उन का ज़माना था आज अपना ज़माना है
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टैग्ज़: ख़फ़ाऔर 1 अन्य
सफ़र पीछे की जानिब है क़दम आगे है मेरा
मैं बूढ़ा होता जाता हूँ जवाँ होने की ख़ातिर
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टैग्ज़: जवानीऔर 2 अन्य
रोज़ मिलने पे भी लगता था कि जुग बीत गए
इश्क़ में वक़्त का एहसास नहीं रहता है
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टैग्ज़: इश्क़और 2 अन्य
उम्र भर मिलने नहीं देती हैं अब तो रंजिशें
वक़्त हम से रूठ जाने की अदा तक ले गया
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टैग्ज़: अदाऔर 2 अन्य
पीरी में वलवले वो कहाँ हैं शबाब के
इक धूप थी कि साथ गई आफ़्ताब के
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टैग्ज़: जवानीऔर 2 अन्य