संपूर्ण
परिचय
ग़ज़ल30
नज़्म31
शेर31
ई-पुस्तक40
उद्धरण11
तंज़-ओ-मज़ाह31
चित्र शायरी 6
ऑडियो 18
वीडियो31
लेख1
गेलरी 2
ब्लॉग3
इब्न-ए-इंशा के शेर
कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तिरा
कुछ ने कहा ये चाँद है कुछ ने कहा चेहरा तिरा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
इक साल गया इक साल नया है आने को
पर वक़्त का अब भी होश नहीं दीवाने को
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
रात आ कर गुज़र भी जाती है
इक हमारी सहर नहीं होती
कब लौटा है बहता पानी बिछड़ा साजन रूठा दोस्त
हम ने उस को अपना जाना जब तक हाथ में दामाँ था
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
वो रातें चाँद के साथ गईं वो बातें चाँद के साथ गईं
अब सुख के सपने क्या देखें जब दुख का सूरज सर पर हो
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
अपनी ज़बाँ से कुछ न कहेंगे चुप ही रहेंगे आशिक़ लोग
तुम से तो इतना हो सकता है पूछो हाल बेचारों का
-
टैग : अयादत
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
'इंशा'-जी उठो अब कूच करो इस शहर में जी को लगाना क्या
वहशी को सुकूँ से क्या मतलब जोगी का नगर में ठिकाना क्या
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
दिल हिज्र के दर्द से बोझल है अब आन मिलो तो बेहतर हो
इस बात से हम को क्या मतलब ये कैसे हो ये क्यूँकर हो
हम भूल सके हैं न तुझे भूल सकेंगे
तू याद रहेगा हमें हाँ याद रहेगा
हुस्न सब को ख़ुदा नहीं देता
हर किसी की नज़र नहीं होती
-
टैग : हुस्न
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हम किसी दर पे न ठिटके न कहीं दस्तक दी
सैकड़ों दर थे मिरी जाँ तिरे दर से पहले
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
गर्म आँसू और ठंडी आहें मन में क्या क्या मौसम हैं
इस बग़िया के भेद न खोलो सैर करो ख़ामोश रहो
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
कूचे को तेरे छोड़ कर जोगी ही बन जाएँ मगर
जंगल तिरे पर्बत तिरे बस्ती तिरी सहरा तिरा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
अहल-ए-वफ़ा से तर्क-ए-तअल्लुक़ कर लो पर इक बात कहें
कल तुम इन को याद करोगे कल तुम इन्हें पुकारोगे
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
एक से एक जुनूँ का मारा इस बस्ती में रहता है
एक हमीं हुशियार थे यारो एक हमीं बद-नाम हुए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
अपने हमराह जो आते हो इधर से पहले
दश्त पड़ता है मियाँ इश्क़ में घर से पहले
इस शहर में किस से मिलें हम से तो छूटीं महफ़िलें
हर शख़्स तेरा नाम ले हर शख़्स दीवाना तिरा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बेकल बेकल रहते हो पर महफ़िल के आदाब के साथ
आँख चुरा कर देख भी लेते भोले भी बन जाते हो
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
कुछ कहने का वक़्त नहीं ये कुछ न कहो ख़ामोश रहो
ऐ लोगो ख़ामोश रहो हाँ ऐ लोगो ख़ामोश रहो
-
टैग : ख़ामोशी
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
वहशत-ए-दिल के ख़रीदार भी नापैद हुए
कौन अब इश्क़ के बाज़ार में खोलेगा दुकाँ
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
एक दिन देखने को आ जाते
ये हवस उम्र भर नहीं होती
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
यूँही तो नहीं दश्त में पहुँचे यूँही तो नहीं जोग लिया
बस्ती बस्ती काँटे देखे जंगल जंगल फूल मियाँ
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
आन के इस बीमार को देखे तुझ को भी तौफ़ीक़ हुई
लब पर उस के नाम था तेरा जब भी दर्द शदीद हुआ
'मीर' से बैअत की है तो 'इंशा' मीर की बैअत भी है ज़रूर
शाम को रो रो सुब्ह करो अब सुब्ह को रो रो शाम करो
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
दीदा ओ दिल ने दर्द की अपने बात भी की तो किस से की
वो तो दर्द का बानी ठहरा वो क्या दर्द बटाएगा
-
टैग : दर्द
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बे तेरे क्या वहशत हम को तुझ बिन कैसा सब्र ओ सुकूँ
तू ही अपना शहर है जानी तू ही अपना सहरा है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
सुन तो लिया किसी नार की ख़ातिर काटा कोह निकाली नहर
एक ज़रा से क़िस्से को अब देते क्यूँ हो तूल मियाँ
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
जब शहर के लोग न रस्ता दें क्यूँ बन में न जा बिसराम करे
दीवानों की सी न बात करे तो और करे दीवाना क्या
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हक़ अच्छा पर उस के लिए कोई और मरे तो और अच्छा
तुम भी कोई मंसूर हो जो सूली पे चढ़ो ख़ामोश रहो
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
जल्वा-नुमाई बेपरवाई हाँ यही रीत जहाँ की है
कब कोई लड़की मन का दरीचा खोल के बाहर झाँकी है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड