अंजाम पर शेर
अंजाम पर शायरी किसी
भी अमल के नतीजे की मुख़्तलिफ़ शक्लों को बयान करती है। ये शायरी पढ़ कर अमल की माहियत से भी वाक़िफ़ होते हैं और इस के नतीजों के हवाले से भी एक इल्म हासिल होता है। इस सियाक़ में शायरों ने अंजाम की जिस ख़ास जहत पर ज़्यादा तवज्जो दी है वो इश्क़ का अंजाम है। इस में हम सब की दिल-चस्पी होनी चाहिए। ये शायरी पढ़िये और अंजाम की अच्छी बुरी सूरतों को जानिये।
न जाने कौन सी मंज़िल पे इश्क़ आ पहुँचा
दुआ भी काम न आए कोई दवा न लगे
अंजाम को पहुँचूँगा मैं अंजाम से पहले
ख़ुद मेरी कहानी भी सुनाएगा कोई और
रोते जो आए थे रुला के गए
इब्तिदा इंतिहा को रोते हैं
अंजाम-ए-वफ़ा ये है जिस ने भी मोहब्बत की
मरने की दुआ माँगी जीने की सज़ा पाई
अपने अपने घर जा कर सुख की नींद सो जाएँ
तू नहीं ख़सारे में मैं नहीं ख़सारे में