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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

ज़ख़्म पर शेर

सुना है शहर में ज़ख़्मी दिलों का मेला है

चलेंगे हम भी मगर पैरहन रफ़ू कर के

मोहसिन नक़वी

ख़ामोशी के नाख़ुन से छिल जाया करते हैं

कोई फिर इन ज़ख़्मों पर आवाज़ें मलता है

अमीर इमाम

इस तरफ़ से गुज़रे थे क़ाफ़िले बहारों के

आज तक सुलगते हैं ज़ख़्म रहगुज़ारों के

साहिर लुधियानवी

मैं तेरे हदिया-ए-फुर्क़त पे कैसे नाज़ाँ हूँ

मिरी जबीं पे तिरा ज़ख़्म तक हसीन नहीं

आकाश 'अर्श'

शाख़-ए-मिज़्गाँ पे महकने लगे ज़ख़्मों के गुलाब

पिछले मौसम की मुलाक़ात की बू ज़िंदा है

शाहिद कमाल

ये आस बहुत है कि तिरे दस्त सितम से

जितने भी मिले घाव हैं भर जाएँगे इक दिन

अज़ीज़ आदिल

तड़प रहा है जो बेताब हो के ज़ख़्मों से

ये रास्ते में मिरे दिल के हू-बहू क्या है

शाद फ़िदाई देहलवी

खिल रहे हैं गुलाब ज़ख़्मों के

शुक्रिया आप की नवाज़िश का

एजाज़ रहमानी

नए ज़ख़्म लाती है बाद-ए-सबा

चमन में हर इक फूल बीमार है

सालिहीन फ़हमी

आज किस की जान से खेलोगे चारागरो

आज पहलू में मिरे ज़ख़्म-ए-जिगर कोई नहीं

दौलत राम साबिर पानीपती

किसी के हाथ ही राज़ी थे रफ़ू के लिए

वगरना ज़ख़्म हद-ए-इंदिमाल तक आए

तौक़ीर अहमद

दर्द की चाह में पहले तो कुरेदूँ शब-भर

फिर उसी ज़ख़्म को सीने का मज़ा लेता हूँ

ख़ालिद नदीम शानी

ता-उम्र तिरा नक़्श-ए-फ़रोज़ाँ रहे मुझ में

इक ज़ख़्म की सूरत मिरे माथे पे उभर जा

अरशद जमाल सारिम

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