असद अली ख़ान क़लक़ के शेर
अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल का
बस इक निगाह पे ठहरा है फ़ैसला दिल का
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
अपने बेगाने से अब मुझ को शिकायत न रही
दुश्मनी कर के मिरे दोस्त ने मारा मुझ को
ऐ बे-ख़ुदी-ए-दिल मुझे ये भी ख़बर नहीं
किस दिन बहार आई मैं दीवाना कब हुआ
-
टैग : बेख़ुदी
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
आसार-ए-रिहाई हैं ये दिल बोल रहा है
सय्याद सितमगर मिरे पर खोल रहा है
-
टैग : उम्मीद
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
होंठों में दाब कर जो गिलौरी दी यार ने
क्या दाँत पीसे ग़ैरों ने क्या क्या चबाए होंठ
-
टैग : पान
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ख़फ़ा हो गालियाँ दो चाहे आने दो न आने दो
मैं बोसे लूँगा सोते में मुझे लपका है चोरी का
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
करेंगे हम से वो क्यूँकर निबाह देखते हैं
हम उन की थोड़े दिनों और चाह देखते हैं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
यही इंसाफ़ तिरे अहद में है ऐ शह-ए-हुस्न
वाजिब-उल-क़त्ल मोहब्बत के गुनहगार हैं सब
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ख़ुदा-हाफ़िज़ है अब ऐ ज़ाहिदो इस्लाम-ए-आशिक़ का
बुतान-ए-दहर ग़ालिब आ गए हैं का'बा-ओ-दिल पर
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
याद दिलवाइए उन को जो कभी वादा-ए-वस्ल
तो वो किस नाज़ से फ़रमाते हैं हम भूल गए
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
चला है छोड़ के तन्हा किधर तसव्वुर-ए-यार
शब-ए-फ़िराक़ में था तुझ से मश्ग़ला दिल का
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
सितम वो तुम ने किए भूले हम गिला दिल का
हुआ तुम्हारे बिगड़ने से फ़ैसला दिल का
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ऐ परी-ज़ाद जो तू रक़्स करे मस्ती में
दाना-ए-ताक हर इक पाँव में घुंघरू हो जाए
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
क्या कोई दिल लगा के कहे शे'र ऐ 'क़लक़'
नाक़द्री-ए-सुख़न से हैं अहल-ए-सुख़न उदास
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
रुख़ तह-ए-ज़ुल्फ़ है और ज़ुल्फ़ परेशाँ सर पर
माँग बालों में नहीं है ये नुमायाँ सर पर
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
वो रिंद हूँ कि मुझे हथकड़ी से बैअत है
मिला है गेसू-ए-जानाँ से सिलसिला दिल का
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ख़त में लिक्खी है हक़ीक़त दश्त-गर्दी की अगर
नामा-बर जंगली कबूतर को बनाना चाहिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
यार की फ़र्त-ए-नज़ाकत का हूँ मैं शुक्र-गुज़ार
ध्यान भी उस का मिरे दिल से निकलने न दिया
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
घाट पर तलवार के नहलाईयो मय्यत मिरी
कुश्ता-ए-अबरू हूँ मैं क्या ग़ुस्ल-ख़ाना चाहिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बहार आते ही ज़ख़्म-ए-दिल हरे सब हो गए मेरे
उधर चटका कोई ग़ुंचा इधर टूटा हर इक टाँका
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
छेड़ा अगर मिरे दिल-ए-नालाँ को आप ने
फिर भूल जाइएगा बजाना सितार का
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मुझ से उन आँखों को वहशत है मगर मुझ को है इश्क़
खेला करता हूँ शिकार आहु-ए-सहराई का
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
पूछा सबा से उस ने पता कू-ए-यार का
देखो ज़रा शुऊ'र हमारे ग़ुबार का
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हुआ मैं रिंद-मशरब ख़ाक मर कर इस तमन्ना में
नमाज़ आख़िर पढ़ेंगे वो किसी दिन तो तयम्मुम से
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
कुफ्र-ओ-इस्लाम के झगड़ों से छुड़ाया सद-शुक्र
क़ैद-ए-मज़हब से जुनूँ ने मुझे आज़ाद किया
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
जब हुआ गर्म-ए-कलाम-ए-मुख़्तसर महका दिया
इत्र खींचा यार के लब ने गुल-ए-तक़रीर का
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मिसाल-ए-आइना हम जब से हैरती हैं तिरे
कि जिन दिनों में न था तू सिंगार से वाक़िफ़
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
तिरे होंठों से शर्मा कर पसीने में हुआ ये तर
ख़िज़र ने ख़ुद अरक़ पोंछा जबीन-ए-आब-ए-हैवाँ का
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मय जो दी ग़ैर को साक़ी ने कराहत देखो
शीशा-ए-मय को मरज़ हो गया उबकाई का
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मुदल्लल जो सुख़न अपना है वो बुर्हान-ए-क़ातेअ' है
तबीअत में रवानी है ज़ियादा हफ़्त-क़ुल्ज़ुम से
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
तिलाई रंग जानाँ का अगर मज़मून लिखूँ ख़त में
तो हाला गिर्द हर्फ़ों के बने सोने के पानी का
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बे-सबब ग़ुंचे चटकते नहीं गुलज़ारों में
फिर रहा है ये ढिंढोरा तिरी रानाई का
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
गुल-गूँ तिरी गली रहे आशिक़ के ख़ून से
यारब न हो ख़िज़ाँ से ये तेरा चमन ख़राब
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
गुलगश्त-ए-बाग़ को जो गया वो गुल-ए-फ़रंग
ग़ुंचे सलाम करते थे टोपी उतार के
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
गर्दिश में साथ उन आँखों का कोई न दे सका
दिन रह गया कभी तो कभी रात रह गई
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
काबे से खींच लाया हम को सनम-कदे में
बन कर कमंद-ए-उल्फ़त ज़ुन्नार बरहमन का
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
राह-ए-हक़ में खेल जाँ-बाज़ी है ओ ज़ाहिर-परस्त
क्या तमाशा दार पर मंसूर ने नट का किया
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
फिर गया आँखों में उस कान के मोती का ख़याल
गोश-ए-गुल तक न कोई क़तरा-ए-शबनम आया
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
कुछ ख़बर देता नहीं उस की दिल-ए-आगह मुझे
वही के मानिंद अब मौक़ूफ़ है इल्हाम का
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हम तो न घर में आप के दम-भर ठहरने आएँ
रोज़ आएँ जाएँ सूरत-ए-अन्फ़ास और लोग
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
यूँ राही-ए-अ'दम हुई बा-वस्फ़-ए-उज़्र-ए-लंग
महसूस आज तक न हुए नक़्श-ए-पा-ए-शम्अ'
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मुबारक दैर-ओ-का'बा हों 'क़लक़' शैख़-ओ-बरहमन को
बिछाएँगे मुसल्ला चल के हम मेहराब-ए-अबरू में
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हिम्मत का ज़ाहिदों की सरासर क़ुसूर था
मय-ख़ाना ख़ानक़ाह से ऐसा न दूर था
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बुत-परस्ती में भी भूली न मुझे याद-ए-ख़ुदा
हाथ में सुब्हा गले में मिरे ज़ुन्नार रहा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मैं वो मय-कश हूँ मिली है मुझ को घुट्टी में शराब
शीर के बदले पिया है मैं ने शीरा ताक का
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
अगर न जामा-ए-हस्ती मिरा निकल जाता
तो और थोड़े दिनों ये लिबास चल जाता
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
उम्र तो अपनी हुई सब बुत-परस्ती में बसर
नाम को दुनिया में हैं अब साहब-ए-इस्लाम हम
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
करो तुम मुझ से बातें और मैं बातें करूँ तुम से
कलीम-उल्लाह हो जाऊँ मैं एजाज़-ए-तकल्लुम से
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
यूँ रूह थी अदम में मिरी बहर-ए-तन उदास
ग़ुर्बत में जिस तरह हो ग़रीब-उल-वतन उदास
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मंज़िल है अपनी अपनी 'क़लक़' अपनी अपनी गोर
कोई नहीं शरीक किसी के गुनाह में
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड