अज़हर फ़राग़ के शेर
जब तक माथा चूम के रुख़्सत करने वाली ज़िंदा थी
दरवाज़े के बाहर तक भी मुँह में लुक़्मा होता था
-
टैग : माँ
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
दफ़्तर से मिल नहीं रही छुट्टी वगर्ना मैं
बारिश की एक बूँद न बे-कार जाने दूँ
-
टैग : बारिश
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
दीवारें छोटी होती थीं लेकिन पर्दा होता था
तालों की ईजाद से पहले सिर्फ़ भरोसा होता था
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
तेरी शर्तों पे ही करना है अगर तुझ को क़ुबूल
ये सुहुलत तो मुझे सारा जहाँ देता है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ख़तों को खोलती दीमक का शुक्रिया वर्ना
तड़प रही थी लिफ़ाफ़ों में बे-ज़बानी पड़ी
-
टैग : शुक्रिया
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ये नहीं देखते कितनी है रियाज़त किस की
लोग आसान समझ लेते हैं आसानी को
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मैं जानता हूँ मुझे मुझ से माँगने वाले
पराई चीज़ का जो लोग हाल करते हैं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बता रहा है झटकना तिरी कलाई का
ज़रा भी रंज नहीं है तुझे जुदाई का
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
उस से हम पूछ थोड़ी सकते हैं
उस की मर्ज़ी जहाँ रखे जिस को
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
अच्छे-ख़ासे लोगों पर भी वक़्त इक ऐसा आ जाता है
और किसी पर हँसते हँसते ख़ुद पर रोना आ जाता है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मेरी नुमू है तेरे तग़ाफ़ुल से वाबस्ता
कम बारिश भी मुझ को काफ़ी हो सकती है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
इज़ाला हो गया ताख़ीर से निकलने का
गुज़र गई है सफ़र में मिरे क़याम की शाम
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
उसे कहो जो बुलाता है गहरे पानी में
किनारे से बंधी कश्ती का मसअला समझे
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मिल गया तू मुझे मेरा नहीं रहने देगा
वो समुंदर मुझे क़तरा नहीं रहने देगा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हमारे ज़ाहिरी अहवाल पर न जा हम लोग
क़याम अपने ख़द-ओ-ख़ाल में नहीं करते
-
टैग : अहवाल
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
आँख खुलते ही जबीं चूमने आ जाते हैं
हम अगर ख़्वाब में भी तुम से लड़े होते हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ऐसी ग़ुर्बत को ख़ुदा ग़ारत करे
फूल भेजवाने की गुंजाइश न हो
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
वो दस्तियाब हमें इस लिए नहीं होता
हम इस्तिफ़ादा नहीं देख-भाल करते हैं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ये ए'तिमाद भी मेरा दिया हुआ है तुम्हें
जो मेरे मशवरे बे-कार जाने लग गए हैं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
किसी बदन की सयाहत निढाल करती है
किसी के हाथ का तकिया थकान खींचता है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बदल के देख चुकी है रेआया साहिब-ए-तख़्त
जो सर क़लम नहीं करता ज़बान खींचता है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
तुझ से कुछ और त'अल्लुक़ भी ज़रूरी है मिरा
ये मोहब्बत तो किसी वक़्त भी मर सकती है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
कुछ नहीं दे रहा सुझाई हमें
इस क़दर रौशनी का क्या कीजे
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
तेज़ आँधी में ये भी काफ़ी है
पेड़ तस्वीर में बचा लिया जाए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ये ख़मोशी मिरी ख़मोशी है
इस का मतलब मुकालिमा लिया जाए
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मैं ये चाहता हूँ कि उम्र-भर रहे तिश्नगी मिरे इश्क़ में
कोई जुस्तुजू रहे दरमियाँ तिरे साथ भी तिरे बा'द भी
ठहरना भी मिरा जाना शुमार होने लगा
पड़े पड़े मैं पुराना शुमार होने लगा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ये कच्चे सेब चबाने में इतने सहल नहीं
हमारा सब्र न करना भी एक हिम्मत है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बहुत से साँप थे इस ग़ार के दहाने पर
दिल इस लिए भी ख़ज़ाना शुमार होने लगा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
बहुत ग़नीमत हैं हम से मिलने कभी कभी के ये आने वाले
वगर्ना अपना तो शहर भर में मकान ताले से जाना जाए
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हमारी मा'ज़रत ऐ ग़म कि मुस्कुरा रहे हैं
हम अपना हाथ तिरी पुश्त से हटा रहे हैं
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हम अपनी नेकी समझते तो हैं तुझे लेकिन
शुमार नामा-ए-आमाल में नहीं करते
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ख़ुद पर हराम समझा समर के हुसूल को
जब तक शजर को छाँव के क़ाबिल नहीं किया
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
महसूस कर लिया था भँवर की थकान को
यूँही तो ख़ुद को रक़्स पे माइल नहीं किया
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
एक ही वक़्त में प्यासे भी हैं सैराब भी हैं
हम जो सहराओं की मिट्टी के घड़े होते हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ये जो रहते हैं बहुत मौज में शब भर हम लोग
सुब्ह होते ही किनारे पे पड़े होते हैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
वैसे तो ईमान है मेरा उन बाँहों की गुंजाइश पर
देखना ये है उस कश्ती में कितना दरिया आ जाता है
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
निकल गया था वो हसीन अपनी ज़ुल्फ़ बाँध कर
हवा की बाक़ियात को समेटते रहे हैं हम
-
टैग : ज़ुल्फ़
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
एक होने की क़स्में खाई जाएँ
और आख़िर में कुछ दिया लिया जाए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मेरा इश्क़ तो ख़ैर मिरी महरूमी का पर्वर्दा था
क्या मालूम था वो भी देगा मेरा इतना टूट के साथ
-
टैग : इश्क़
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
गीले बालों को सँभाल और निकल जंगल से
इस से पहले कि तिरे पाँव ये झरना पड़ जाए
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
गिरते पेड़ों की ज़द में हैं हम लोग
क्या ख़बर रास्ता खुले कब तक
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ये लोग जा के कटी बोगियों में बैठ गए
समय को रेल की पटरी के साथ चलने दिया
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
भँवर से ये जो मुझे बादबान खींचता है
ज़रूर कोई हवाओं के कान खींचता है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
दलील उस के दरीचे की पेश की मैं ने
किसी को पतली गली से नहीं निकलने दिया
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मंज़र-ए-शाम-ए-ग़रीबाँ है दम-ए-रुख़्सत-ए-ख़्वाब
ताज़िए की तरह उट्ठा है कोई बिस्तर से
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड