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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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हुस्न पर चित्र/छाया शायरी

हम हुस्न को देख सकते

हैं, महसूस कर सकते हैं इस से लुत्फ़ उठा सकते हैं लेकिन इस का बयान आसान नहीं। हमारा ये शेरी इन्तिख़ाब हुस्न देख कर पैदा होने वाले आपके एहसासात की तस्वीर गिरी है। आप देखेंगे कि शाइरों ने कितने अछूते और नए नए ढंग से हसन और इस की मुख़्तलिफ़ सूरतों को बयान किया। हमारा ये इन्तिख़ाब आपको हुस्न को एक बड़े और कुशादा कैनवस पर देखने का अहल भी बनाएगा। आप उसे पढ़िए और हुस्न-परस्तों में आम कीजिए।

वो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगा

आप की आँख से गहरा है मिरी रूह का ज़ख़्म

किसी कली किसी गुल में किसी चमन में नहीं

किसी कली किसी गुल में किसी चमन में नहीं

पढ़ चुके हुस्न की तारीख़ को हम तेरे ब'अद

न पूछो हुस्न की तारीफ़ हम से

आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो

आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो

किसी की याद में दुनिया को हैं भुलाए हुए

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