बदन पर चित्र/छाया शायरी
उर्दू शायरी में बदन
कहीं-कहीं मुख्य पात्र के तौर पर सामने आता है । शायरों ने बदन को उसके सौन्दर्यशास्त्र के साथ विभिन्न और विविध तरीक़ों से शायरी में पेश किया है । बदन के सौन्दर्यशास्त्र को अपना विषय बनाने वाली उर्दू शायरी में अशलीलता को भी कला के अपने सौन्दर्य में स्थापित किया गया है । उर्दू शायरी ने बदन केंद्रित शायरी में सूफ़ीवाद से भी गहरा संवाद किया है ।
![किसी कली किसी गुल में किसी चमन में नहीं किसी कली किसी गुल में किसी चमन में नहीं](https://rekhta.pc.cdn.bitgravity.com/Images/ShayariImages/kisii-kalii-kisii-gul-men-kisii-chaman-men-nahiin-couplets-farhat-ehsas_medium.png)
-
रंगऔर 1 अन्य