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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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अक्स समस्तीपुरी

1996 | समस्तीपूर, भारत

अक्स समस्तीपुरी के शेर

यार मैं इतना भूका हूँ

धोका भी खा लेता हूँ

एक रिश्ता जिसे मैं दे सका कोई नाम

एक रिश्ता जिसे ता-उम्र निभाए रक्खा

बस इसी उम्मीद पे होता गया बर्बाद मैं

गर कभी बिखरा तो कर तू सँभालेगा मुझे

उस ने यूँ रास्ता दिया मुझ को

रास्ते से हटा दिया मुझ को

तू सिर्फ़ मेरी है उस का ग़ुरूर है मुझ को

अगर ये वहम मेरा है तो कोई बात नहीं

कैसे तुम भूल गए हो मुझे आसानी से

इश्क़ में कुछ भी तो आसान नहीं होता है

बिक जाता हूँ हाथों-हाथ

हद से ज़ियादा सस्ता हूँ

जिस हवा ने मुझे जलाए रखा

फिर उसी ने बुझा दिया मुझ को

था मुझे वहम-ओ-गुमाँ की वो फ़क़त मेरी है

और उस ने भी भरम मेरा बनाए रक्खा

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