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Ajmal Siraj's Photo'

अजमल सिराज

1968 - 2024 | कराची, पाकिस्तान

ग़ज़लों के प्रसिद्ध पाकिस्तानी शायर, बिल्कुल भिन्न और अनोखी भावनाओं व संवेदनाओं की शायरी के लिए विख्यात

ग़ज़लों के प्रसिद्ध पाकिस्तानी शायर, बिल्कुल भिन्न और अनोखी भावनाओं व संवेदनाओं की शायरी के लिए विख्यात

अजमल सिराज के शेर

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बस एक शाम का हर शाम इंतिज़ार रहा

मगर वो शाम किसी शाम भी नहीं आई

उस ने पूछा था क्या हाल है

और मैं सोचता रह गया

ये उदासी का सबब पूछने वाले 'अजमल'

क्या करेंगे जो उदासी का सबब बतलाया

मैं ने दिल तुझे सीने से लगाया हुआ है

और तू है कि मिरी जान को आया हुआ है

किसी के हिज्र में जीना मुहाल हो गया है

किसे बताएँ हमारा जो हाल हो गया है

ज़िंदगी हम से चाहती क्या है

चाहती क्या है ज़िंदगी हम से

बताओ तुम से कहाँ राब्ता किया जाए

कभी जो तुम से ज़रूरत हो बात करने की

ये जो हम खोए खोए रहते हैं

इस में कुछ दख़्ल है तुम्हारा भी

रह गया दिल में इक दर्द सा

दिल में इक दर्द सा रह गया

कुछ कहना चाहते थे कि ख़ामोश हो गए

दस्तार याद गई सर याद गया

'अजमल'-सिराज हम उसे भूल हुए तो हैं

क्या जाने क्या करेंगे अगर याद गया

लोग जीते हैं किस तरह 'अजमल'

हम से होता नहीं गुज़ारा भी

ठहर गया है दिल का जाना

दिल का जाना ठहर गया है

कौन आता है इस ख़राबे में

इस ख़राबे में कौन आता है

अब आप ख़ुद ही बताएँ ये ज़िंदगी क्या है

करम भी उस ने किए हैं मगर सितम जैसे

ग़म सभी दिल से रुख़्सत हुए

दर्द बे-इंतिहा रह गया

बदल जाएँगे ये दिन रात 'अजमल'

कोई ना-मेहरबाँ कब तक रहेगा

ये भी तय है कि जो बोएँगे वो काटेंगे यहाँ

और ये भी कि जो खोएँगे वही पाएँगे

सब के होते हुए इक रोज़ वो तन्हा होगा

फिर वो ढूँडेगा हमें और नहीं पाएगा वो

क्या कहेगा कभी मिलने भी अगर आएगा वो

अब वफ़ादारी की क़स्में तो नहीं खाएगा वो

मिरी मिसाल तो ऐसी है जैसे ख़्वाब कोई

मिरा वजूद समझ लीजिए अदम जैसे

दिखा दूँगा तमाशा दी अगर फ़ुर्सत ज़माने ने

तमाशाए-ए-फ़रावाँ को फ़रावाँ कर के छोड़ूँगा

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