विधार्थी पर शेर
शागिर्द तर्ज़-ए-ख़ंदा-ज़नी में है गुल तिरा
उस्ताद-ए-अंदलीब हैं सोज़-ओ-फ़ुग़ाँ में हम
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
शागिर्द तर्ज़-ए-ख़ंदा-ज़नी में है गुल तिरा
उस्ताद-ए-अंदलीब हैं सोज़-ओ-फ़ुग़ाँ में हम