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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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रोमांटिक पर ग़ज़लें

रूमान के बग़ैर ज़िंदगी

कितनी ख़ाली ख़ाली सी होती है इस का अंदाज़ा तो आप सबको होगा ही। रूमान चाहे काइनात के हरे-भरे ख़ूबसूरत मनाज़िर का हो या इन्सानों के दर्मियान नाज़ुक ओ पेचीदा रिश्तों का इसी से ज़िंदगी की रौनक़ मरबूत है। हम सब ज़िंदगी की सफ़्फ़ाक सूरतों से बच निकलने के लिए रूमानी लम्हों की तलाश में रहते हैं। तो आइए हमारा ये शेरी इन्तिख़ाब एक ऐसा निगार-ख़ाना है जहाँ हर तरफ़ रूमान बिखरा पड़ा है।

घटाओं की उदासी पी रहा हूँ

कफ़ील आज़र अमरोहवी

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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