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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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गणतंत्र दिवस शायरी पर नज़्में

शायरी में वतन-परस्ती

के जज़्बात का इज़हार बड़े मुख़्तलिफ़ ढंग से हुआ है। हम अपनी आम ज़िंदगी में वतन और इस की मोहब्बत के हवाले से जो जज़्बात रखते हैं वो भी और कुछ ऐसे गोशे भी जिन पर हमारी नज़र नहीं ठहरती इस शायरी का मौज़ू हैं। ये अशआर पढ़िए और इस जज़बे की रंगारंग दुनिया की सैर कीजिए।

मेरा वतन

दिल-रुबा लाला हो फ़ज़ा तेरी

मीर सय्यद नज़ीर हुसैन नाशाद

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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