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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

बाल कविता पर

कला और कलाकार की कल्पना-शक्ति

बहुत बलवान होती है। कल्पना-शक्ति के सहारे ही कलाकार नई दुनिया की सैर करता है और गुज़रे हुए वक़्त की यादों को भी शिद्दत के साथ अपनी रचना में बयान करता है। बचपन के सुंदर और कोमल एहसास,उसकी मासूमियत और सच्चे-पन को अपनी रचना में चित्रित करना आसान नहीं होता। लेकिन शायरी जैसी विधा में बचपन के इस एहसास की तर्जुमानी भी की गई है। शायरी या कोई भी रचनात्मक शैली की अपनी सीमा है। इसलिए भाषा की सतह पर बचपन के एहसाह को बयान करने में शायरी की अपनी लाचारी भी है ।बचपन के एहसास से ओत-प्रोत शायरी हमारी इसी नाचारी का बदल है।

कोट पेंट की शान बढ़ाए

आदिल असीर देहलवी

जब जंगल में भागे है वो

आदिल असीर देहलवी

मौसीक़ी का माहिर भी था

आदिल असीर देहलवी

बारिश में वो नाच दिखाए

आदिल असीर देहलवी

नर्म मुलाएम जी ललचाए

आदिल असीर देहलवी

पेड़ों पर भी वो चढ़ जाए

आदिल असीर देहलवी

खेत में उपजे जड़ कहलाए

आदिल असीर देहलवी

देखूँ तो मिरा जी ललचाए

आदिल असीर देहलवी

तहज़ीबों की शान है इस में

आदिल असीर देहलवी

मीठी चीज़ें खाएँगे हम

आदिल असीर देहलवी

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