वो लोग जो मुझे या मेरे मिज़ाज के आदमियों को हक़ारत की नज़रों से देखते हैं उनके मुतअल्लिक़ मुझे अफ़सोस से कहना पड़ेगा कि वो शे'अरियत से यकसर ख़ाली हैं। ड्रामे को समझने और इससे हज़ उठाने की सलाहियत उनमें ज़र्रा भर नहीं।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
वो लोग जो मुझे या मेरे मिज़ाज के आदमियों को हक़ारत की नज़रों से देखते हैं उनके मुतअल्लिक़ मुझे अफ़सोस से कहना पड़ेगा कि वो शे'अरियत से यकसर ख़ाली हैं। ड्रामे को समझने और इससे हज़ उठाने की सलाहियत उनमें ज़र्रा भर नहीं।
Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi
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