हेल्थ केयर पर कहानियाँ
तीन मोटी औरतें
यह अभिजात्य वर्ग की महिलाओं की दिलचस्पियों, रुचियों और उनकी व्यस्तताओं के वर्णन पर आधारित एक श्रेष्ठ कहानी है। इस कहानी में तीन ऐसी औरतें एक साथ एकत्र हैं जिनकी दोस्ती की वजह सिर्फ़ उनका मोटापा है। वो साल में एक महीने के लिए मोटापा कम करने के उद्देश्य से करबसाद जाती हैं लेकिन वहाँ भी वो एक दूसरे की लालच में तैलीय भोजन से परहेज़ नहीं करतीं और वर्षों गुज़र जाने के बाद भी उनके मोटापे में कोई फ़र्क़ नहीं आता।
सआदत हसन मंटो
असली जिन
लेस्बियन संबंधों पर आधारित कहानी। फर्ख़ंदा अपने माँ-बाप की इकलौती बेटी थी। बचपन में ही उसके बाप का देहांत हो गया था तो वह अकेले अपनी माँ के साथ रहने लगी थी। जवानी का सफ़र उसने तन्हा ही गुज़ार दिया। जब वह अट्ठारह साल की हुई तो उसकी मुलाक़ात नसीमा से हुई। नसीमा एक पंजाबी लड़की थी, जो हाल ही में पड़ोस में रहने आई थी। नसीमा एक लंबी-चौड़ी मर्दों के स्वभाव वाली महिला थी, जो फर्ख़ंदा को भा गई थी। जब फर्ख़ंदा की माँ ने उसका नसीमा से मिलना बंद कर दिया तो वह आधी पागल हो गई। लोगों ने कहा कि उस पर जिन्न है, पर छत पर जब एक दिन उसकी मुलाक़ात नसीमा के छोटे भाई से हुई तो उसके सभी जिन्न भाग गए।
सआदत हसन मंटो
कपास का फूल
अधूरी रह गई मोहब्बत में सारी ज़िंदगी तन्हा गुज़ार देने वाली एक बूढ़ी औरत की कहानी। उसके पास जीने का कोई जवाज़ नहीं बचा है और वह हरदम मौत को पुकारती रहती है। तभी उसकी ज़िंदगी में एक नौजवान लड़की आती है, जो कपास के फूल की तरह नर्म और नाजु़क है। वह उसका ख़्याल रखती है और यक़ीन दिलाती है कि इस बुरे वक़्त में उसकी क़द्र करने वाला कोई है। मगर उन्हीं दिनों भारतीय फ़ौज गाँव पर हमला कर देती है और माई ताजो का वह फूल किसी कीड़े की तरह मसल दिया जाता है।
अहमद नदीम क़ासमी
बाँझ
आत्मकथात्मक शैली में लिखी गई कहानी। बंबई के अपोलो-बंदर पर टहलते हुए एक दिन उस शख्स से मुलाकात हुई। मुलाक़ात के दौरान ही मोहब्बत पर गुफ़्तुगू होने लगी है। आप चाहे किसी से भी मोहब्बत कीजिए, मोहब्बत मोहब्बत ही होती है। वह किसी बच्चे की तरह पैदा होती है और हमल की तरह गिर भी जाती है। यानी पैदा होने से पहले ही मर भी सकती है। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो चाहकर भी मोहब्बत नहीं कर पाते हैं और ऐसे लोग बाँझ होते हैं।
सआदत हसन मंटो
जानकी
जानकी एक ज़िंदा और जीवंत पात्र है जो पूना से बम्बई फ़िल्म में काम करने आती है। उसके अंदर ममता और ख़ुलूस का ठाठें मारता समुंदर है। अज़ीज़, सईद और नरायन, जिस व्यक्ति के भी नज़दीक होती है उसके साथ जिस्मानी ख़ुलूस बरतने में कोई तकल्लुफ़ महसूस नहीं करती। उसकी नफ़्सियाती पेचीदगियाँ कुछ इस तरह की हैं कि जिस वक़्त वह एक शख़्स से जिस्मानी रिश्तों में जुड़ती है, ठीक उसी वक़्त उसे दूसरे की बीमारी का भी ख़याल सताता रहता है। जिन्सी मैलानात का तज्ज़िया करती हुई यह एक उम्दा कहानी है।
सआदत हसन मंटो
बेगू
कश्मीर की सैर के लिए गए एक ऐसे नौजवान की कहानी जिसे वहाँ एक स्थानीय लड़की बेगू से मोहब्बत हो जाती है। वह बेगू पर पूरी तरह मर-मिटता है कि तभी उस नौजवान का दोस्त बेगू के चरित्र के बारे में कई तरह की बातें उसे बताता है। वैसी ही बातें वह दूसरे और लोगों से भी सुनता है। ये सब बातें सुनने के बाद उसे बेगू से नफ़रत हो जाती है, मगर बेगू उसकी जुदाई में अपनी जान दे देती है। बेगू की मौत के बाद वह नौजवान भी इश्क़ की लगी आग में जल कर मर जाता है।
सआदत हसन मंटो
मंज़ूर
अपनी बीमारी से बहादुरी के साथ लड़ने वाले एक लक़वाग्रस्त बच्चे की कहानी। अख़्तर को जब दिल का दौरा पड़ा तो उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहाँ उसकी मुलाक़ात मंज़ूर से हुई। मंज़ूर के शरीर का निचला हिस्सा बिल्कुल बेकार हो गया था। फिर भी वह पूरे वार्ड में सबकी ख़ैरियत पूछता, हर किसी से बात करता। डॉक्टर, नर्स भी उससे बहुत ख़ुश थे। हालाँकि उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हो सकता था, फिर उसके माँ-बाप के आग्रह पर डॉक्टर्स ने अपने यहाँ एडमिट कर लिया था। अख़्तर मंज़ूर से बहुत प्रभावित हुआ। जब उसकी छुट्टी का दिन क़रीब आया तो डिस्चार्ज होने से पहले की रात को मंज़ूर का इंतक़ाल हो गया।
सआदत हसन मंटो
फ़रिश्ता
"ज़िंदगी की आज़माईशों से परेशान शख़्स की नफ़्सियाती कैफ़ियत पर मब्नी कहानी। मौत के बिस्तर पर पड़ा अता-उल-अल्लाह अपने परिवार की मजबूरियों को देखकर परेशान हो जाता है और अर्धमूर्च्छित अवस्था में देखता है कि उसने सबको मार डाला है यानी जो काम वो अस्ल में नहीं कर सकता उसे ख़्वाब में अंजाम देता है।"
सआदत हसन मंटो
पाँच दिन
बंगाल के अकाल की मारी हुई सकीना की ज़बानी एक बीमार प्रोफे़सर की कहानी बयान की गई है, जिसने अपने चरित्र को बुलंद करने के नाम पर अपनी फ़ित्री ख़्वाहिशों को दबाए रखा। सकीना भूख से बेचैन हो कर एक दिन जब उसके घर में चली आती है तो प्रोफे़सर कहता है कि तुम इसी घर में रह जाओ, मैं दस बरस तक स्कूल में लड़कियों को पढ़ाता रहा इसलिए उन्हीं बच्चियों की तरह तुम भी एक बच्ची हो। लेकिन मरने से पाँच दिन पहले वह स्वीकार करता है कि उसने हमेशा सकीना सहित उन सभी लड़कियों को जिन्हें उसने पढ़ाया है हमेशा ग़लत निगाहों से देखा है।
सआदत हसन मंटो
क़ासिम
अफ़साना घरों में काम करने वाले बच्चों के शोषण पर आधारित है। क़ासिम इंस्पेक्टर साहब के यहाँ नौकर था। वह बहुत कम-उम्र था फिर भी उस से घर-भर के काम लिए जाते थे। इतने कामों के कारण उसकी नींद भी पूरी नहीं हो पाती थी। काम से बचने के लिए उसने एक रोज़़ चाकू़ से अपनी उँगली काट ली। उसका यह तरीक़ा काम कर गया। उसे कई दिन के लिए काम से छुट्टी मिल गई। ठीक होने के कुछ दिन बाद ही उसने फिर से अपनी अंगुली काट ली। मगर जब उसने तीसरी बार उँगली काटी तो मालिक ने तंग आ कर उसे घर से निकाल दिया। दवाई के अभाव में क़ासिम की ताज़ा कटी उँगली में सैप्टिक हो गया। जिस कारण डॉक्टर को उसका हाथ काटना पड़ा। हाथ कटने पर वह भीख माँगने का धंधा करने लगा।
सआदत हसन मंटो
ख़ालिद मियां
यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो अपने बेटे की मौत के वहम में मानसिक तनाव का शिकार हो जाता है। ख़ालिद मियाँ एक बहुत तंदुरुस्त और ख़ूबसूरत बच्चा था। कुछ ही दिनों में वह एक साल का होने वाला था, पर उसकी सालगिरह से दो दिन पहले ही उसके बाप मुम्ताज़ को यह संदेह होने लगा था कि ख़ालिद एक साल का होने से पहले ही मर जाएगा। हालाँकि बच्चा बिल्कुल स्वस्थ था और हँस-खेल रहा था। मगर जैसे-जैसे वक़्त बीतता जाता था, मुमताज़ का संदेह और भी गहरा होता जाता था।
सआदत हसन मंटो
माँ का दिल
कहानी एक फ़िल्म के एक सीन की शूटिंग के गिर्द घूमती है, जिसमें हीरो को एक बच्चे को गोद में लेकर डायलॉग बोलना होता है। स्टूडियों में जितने भी बच्चे लाए जाते हैं हीरो किसी न किसी वजह से उनके साथ काम करने से मना कर देता है। फिर बाहर झाड़ू लगा रही स्टूडियों की भंगन को उसका बच्चा लाने के लिए कहा जाता है, जो कई दिन से बुख़ार में तप रहा होता है। पैसे न होने के कारण वह उसे अच्छी डॉक्टर को भी नहीं दिखा पाती। हीरो बच्चे के साथ सीन शूट करा देता है। मगर जब भंगन स्टूडियों से पैसे लेकर उसे डॉक्टर के पास लेकर जाती है तब तक बच्चा मर चुका होता है।
ख़्वाजा अहमद अब्बास
बीमार
"यह एक जिज्ञासापूर्ण रूमानी कहानी है जिसमें एक औरत लेखक को निरंतर ख़त लिख कर उसकी कहानियों की प्रशंसा करती है और साथ ही साथ अपनी बीमारी का उल्लेख भी करती जाती है जो लगातार शदीद होती जा रही है। एक दिन वो औरत लेखक के घर आ जाती है। लेखक उसके हुस्न पर मुग्ध हो जाता है और तभी उसे मालूम होता है कि वो औरत उसकी बीवी है जिससे डेढ़ बरस पहले उसने निकाह किया था।"
सआदत हसन मंटो
माही-गीर
इस कहानी में एक ग़रीब मछुवारे मियां-बीवी के हमदर्दी के जज़्बे को बयान किया गया है। मछुवारे के पाँच बच्चे हैं और वो रात-भर समुंद्र से मछलियाँ पकड़ कर बड़ी मुश्किल से घर का ख़र्च चलाता है। एक रात उसकी पड़ोसन बेवा का इंतक़ाल हो जाता है। मछुवारे की बीवी उसके दोनों बच्चों को उठा लाती है। सुबह मछुवारे को इस हादसे की इत्तिला देती है और बताती है कि दो बच्चे उसकी लाश के बराबर लेटे हुए हैं तो मछुवारा कहता है पहले पाँच बच्चे थे अब सात हो गए, जाओ उन्हें ले आओ। मछुवारे की बीवी चादर उठा कर दिखाती है कि वो दोनों बच्चे यहाँ हैं।
सआदत हसन मंटो
डॉक्टर शिरोडकर
यह बंबई स्थित एक स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर की ज़िंदगी पर आधारित कहानी है। दो मंज़िलों में बना यह अस्पताल बंबई का सबसे मशहूर अस्पताल है। उसके अस्पताल में हर चीज़ गुणवत्ता में नंबर एक है। अस्पताल को समर्पित डॉक्टर एक तरह से अपनी ज़िंदगी को भूल ही गया है। उसके पास इतना भी वक़्त नहीं होता कि वह ठीक से सो भी सके। अस्पताल की नर्सें उसकी तन्हा ज़िंदगी को देखकर परेशान रहती हैं। तभी अस्पताल में एक लड़की एबॉर्शन करवाने आती है। वह डॉक्टर को इतनी भाती है कि डॉक्टर उस लड़की से शादी कर लेता है।
सआदत हसन मंटो
दो मुंही
कहानी दोहरे चरित्र से जूझती एक ऐसी औरत के गिर्द घूमती है, जो बाहरी तौर पर तो कुछ और दिखाई देती है मगर उसके अंदर कुछ और ही चल रहा होता है। अपनी इस शख़्सियत से परेशान वह बहुत से डॉक्टरों से इलाज कराती है मगर कोई फ़ायदा नहीं होता। फिर उसकी एक सहेली उसे त्याग क्लीनिक के बारे में बताती है और वह अपने शौहर से हिल स्टेशन पर घूमने का कहकर अकेले ही त्याग क्लीनिक में इलाज कराने के लिए निकल पड़ती है।
मुमताज़ मुफ़्ती
मिस फ़रिया
यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो शादी के एक महीने बाद ही अपनी बीवी के पेट से रह जाने पर परेशान हो जाता है। इससे छुटकारा पाने के लिए वह कई उपाय सोचता है, लेकिन कोई उपाय कारगर नहीं होती। आख़िर में उसे लेडी डॉक्टर मिस फ़रिया याद आती है, जो उसकी बहन के बच्चा होने पर उनके घर आई थी। जब वह डाक्टर को उसकी डिस्पेंनशरी पर छोड़ने गया था तो उसने उसका हाथ पकड़ लिया था। फिर माफ़ी माँगते हुए उसका हाथ छोड़ दिया था। अब जब उसे फिर उस घटना की याद आई तो वह हँस पड़ा और उसने यथास्थिति को क़बूल कर लिया।
सआदत हसन मंटो
मिस टीन वाला
यह एक मनोवैज्ञानिक मरीज़़ के मानसिक उलझाव और परेशानियों पर आधारित कहानी है। ज़ैदी साहब एक शिक्षित व्यक्ति हैं और बंबई में रहते हैं। पिछले कुछ दिनों से वह एक बिल्ले की अपने घर में आमद-ओ-रफ़्त से परेशान हैं। वह बिल्ला इतना ढीट है कि डराने, धमकाने या फिर मारने के बाद भी टस से मस नहीं होता। खाने के बाद भी वह उसी तरह अकड़ के साथ ज़ैदी साहब को घूरता हुआ घर से बाहर चला जाता है। उसके इस रवय्ये से ज़ैदी साहब इतने परेशान होते हैं कि वह दोस्त लेखक से मिलने चले आते हैं। वह अपने दोस्त की अपनी स्थिति और उस बिल्ले की हठधर्मी की पूरी दास्तान सुनाते हैं तो फिर लेखक के याद दिलाने पर उन्हें याद आता है कि बचपन में स्कूल के बाहर मिस टीन वाला आया करता था, जो मि. ज़ैदी पर आशिक़ था। वह भी उस बिल्ले की ही तरह ठीट, अकड़ वाला और हर मार-पीट से बे-असर रहा करता था।
सआदत हसन मंटो
ख़ून की एक बोतल
रोज़गार की तलाश में अपने ज़मीर का सौदा करने वाले ऐसे शख़्स की कहानी जिसकी माँ शदीद बीमार है। डाक्टरों ने उसमें खू़न की कमी बताई। वह ब्लड बैंक गया तो वहाँ मौजूद शख़्स ने कहा कि इस ग्रुप का ख़ून नहीं है। वह उसे एक दूसरे आदमी का पता देते हुए वहाँ से खू़न लेने का मश्वरा देता है। इसी बीच उसकी माँ की मौत हो जाती है। नौकरी की तलाश में घूमते हुए उस शख़्स की मुलाक़ात उसी खू़न देने वाले शख़्स से होती है, जो उसे ब्लड बैंक वाले शख़्स के साथ पार्टनरशिप में काम करने का मश्वरा देता है।
मिर्ज़ा अदीब
गिलगित ख़ान
यह होटल में काम करने वाले एक बहुत बदसूरत नौकर की कहानी है। उसकी बदसूरती के कारण उसका मालिक उसे पसंद करता है और न ही वहाँ आने वाले ग्राहक। मगर अपनी मेहनत और शिष्टाचार से वह सभी का लोकप्रिय बन जाता है। अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए वह मालिक की नापसंदगी के बावजूद एक कुत्ते का पिल्ला पाल लेता है। बड़ा होने पर कुत्ते को पेट की कोई बीमारी हो जाती है, तो उसे ठीक करने के लिए गिलगित ख़ान चोरी से अपने मालिक का बटेर मारकर कुत्ते को खिला देता है।
सआदत हसन मंटो
मिसेज़ गुल
एक ऐसी औरत की ज़िंदगी पर आधारित कहानी है जिसे लोगों को तिल-तिल कर के मारने में मज़ा आता है। मिसेज़ गुल एक अधेड़ उम्र की औरत थी। उसकी तीन शादियाँ हो चुकी थीं और अब वह चौथी की तैयारियाँ कर रही थी। उसका होने वाला पति एक नौजवान था। पर वह हर रोज़़ पीला पड़ता जा रहा था। उसके यहाँ की नौकरानी भी थोड़ा-थोड़ा करके घुलती जा रही थी। उन दोनों के मरज़ से जब पर्दा उठा तो पता चला कि मिसेज़ गुल उन्हें एक जानलेवा नशीली दवाई थोड़ा-थोड़ा करके रोज़़ पिला रही थीं।
सआदत हसन मंटो
जान मोहम्मद
इंसान की नफ़्सियाती पेचीदगियों और तह दर तह पोशीदा शख़्सियत को बयान करती हुई कहानी है। जान मोहम्मद मंटो के बीमारी के दिनों में एक मुख़लिस तीमारदार के रूप में सामने आया और फिर बेतकल्लुफी से मंटो के घर आने लगा, लेकिन असल में वह मंटो के पड़ोस की लड़की शमीम के चक्कर में आता था। एक दिन शमीम और जान मोहम्मद घर से फ़रार हो जाते हैं, तब उसकी असलियत पता चलती है।
सआदत हसन मंटो
जनाज़ा
यह मस्जिद के एक मुअज्ज़िन की कहानी है, जो रात में मस्जिद में ही सो जाया करता था। एक रोज़ मस्जिद में नमाज़-ए-जनाज़ा के लिए एक जनाज़ा लाया जाता है कि तभी बारिश होने लगी। लोग जनाज़े को उसके सुपुर्द करके घर चले गए कि बारिश खुलने पर जनाज़े को दफ़न किया जाएगा। रात को जनाज़े के पास अकेले बैठे मुअज्ज़िन के सामने एक ऐसा वाक़िआ पेश आया कि सुबह होते ही उसकी भी मौत हो गई।
हिजाब इम्तियाज़ अली
कीमिया-गर
यह तुर्की से हिंदुस्तान में आ बसे एक हकीम की कहानी है, जो अपने पूरे खु़लूस और अच्छे स्वभाव के बावजूद भी यहाँ की मिट्टी में घुल मिल नहीं पाता। गाँव की हिंदु आबादी उसका पूरा सम्मान करती है, मगर वह उन्हें कभी अपना महसूस नहीं कर पाता है। फिर गाँव में हैज़ा फैल जाता है और वह अपने बीवी बच्चों को लेकर गाँव छोड़ देता है। रात में उसे सपने में कीमियागर दिखाई देता है, जिसके साथ की गुफ़्तुगू उसके पूरे नज़रिए को बदल देती है और वह वापस गाँव लौटकर लोगों के इलाज में लग जाता है।
मोहम्मद मुजीब
रुमूज़-ए-ख़ामोशी
मैं चार बजे की गाड़ी से घर वापिस आ रहा था। दस बजे की गाड़ी से एक जगह गया था और चूँकि उसी रोज़ वापिस आना था लिहाज़ा मेरे पास अस्बाब वग़ैरा कुछ ना था। सिर्फ एक स्टेशन रह गया था। गाड़ी रुकी तो मैंने देखा कि एक साहिब सैकिण्ड क्लास के डिब्बे से उतरे। उनका क़द्द-ए-बला
मिर्ज़ा अज़ीम बेग़ चुग़ताई
क़ीमे की बजाय बोटियाँ
एक मद्रासी डॉक्टर के दूसरे प्रेम-विवाह की त्रासदी पर आधारित कहानी। वह डॉक्टर बेहद बेतकल्लुफ़ था। अपने दोस्तों पर बेहिसाब ख़र्च किया करता था। तभी उसकी एक औरत से दोस्ती हो गई जो उस से पहले अपने तीन शौहरों को तलाक़़ दे चुकी थी। डॉक्टर ने कुछ अरसे बाद उससे शादी कर ली। मगर जल्द ही उनके बीच झगड़े होने लगे। उस औरत ने अपनी नौकरानियों और उनके शौहरों से डॉक्टर की पिटाई करा दी। बदले में डॉक्टर ने उनके टुकड़े-टुकड़े कर के लोगों को दावत में खिला दिया।
सआदत हसन मंटो
मिसेस डिकोस्टा
यह एक ईसाई औरत की कहानी है, जिसे अपनी पड़ोसन के गर्भ में बहुत ज़्यादा दिलचस्पी है। गर्भवती पड़ोसन के दिन पूरे हो चुके हैं, लेकिन बच्चा है कि पैदा होने का नाम ही नहीं ले रहा है। मिसेज़ डिकोस्टा हर रोज़़ उससे बच्चे की पैदाइश के बारे में पूछती है। साथ ही उसे मोहल्ले भर की ख़बरें भी बताती जाती है। उन दिनों देश में शराब-बंदी क़ानून की माँग बढ़ती जा रही थी, जिसके कारण मिसेज़ डिकोस्टा बहुत परेशान थी। फिर भी वह अपनी गर्भवती पड़ोसन का बहुत ख़याल करती है। एक दिन उसने पड़ोसन को घर बुलाया और उसका पेट देखकर बताया कि बच्चा कितने दिनों में और क्या (लड़का या लड़की) पैदा होगा।
सआदत हसन मंटो
घोगा
अफ़साना अस्पताल में भर्ती ऐसे मरीज़़ की दास्तान बयान करता है जो वहाँ से दवाइयाँ चोरी कर के अपनी बहन को दिया करता है। उसकी इन हरकतों का अस्पताल की सभी नर्सों को पता है, फिर भी वे किसी को कुछ नहीं बताती हैं। इन्हीं में से एक नर्स मिस जैकब भी है, जिसे कोई घास नहीं डालता है। मगर जिस दिन वह मरीज़़ अस्पताल से रुख़स्त हुआ, उसी दिन मिस जैकब भी ग़ायब हो गई। पर दो दिन बाद ही वह लौट आई। वह पहले की तरह से चुप-चुप थी। बस उसके कानों की सोने की बालियाँ ग़ायब हो गईं थीं।