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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

दरख़्त पर शेर

तुम लगाते चलो अश्जार जिधर से गुज़रो

उस के साए में जो बैठेगा दुआ ही देगा

अज्ञात

शरीफ़े के दरख़्तों में छुपा घर देख लेता हूँ

मैं आँखें बंद कर के घर के अंदर देख लेता हूँ

मोहम्मद अल्वी

दिल के आँगन में उभरता है तिरा अक्स-ए-जमील

चाँदनी रात में हो रात की रानी जैसे

इरफ़ाना अज़ीज़

उस पेड़ के हर फल में मिरा हक़ ज़रा रखना

जिस नन्हे से पौदे को शजर मैं ने किया है

आबिदा करामत

गिल है आरिज़ तो क़द्द-ए-यार दरख़्त

कब हो ऐसा बहार-दार दरख़्त

मुनव्वर ख़ान ग़ाफ़िल

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