न जाएगा मेरे दिल से ख़याल-ए-अबरू-ए-दिलबर
कि तेग़ों ही के साए में तो है जन्नत मुसलमाँ की
बल पड़े चितवन पे अबरू तन के ख़ंजर हो गए
ज़िक्र-ए-वस्ल आते ही वो जामे से बाहर हो गए
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
न जाएगा मेरे दिल से ख़याल-ए-अबरू-ए-दिलबर
कि तेग़ों ही के साए में तो है जन्नत मुसलमाँ की
बल पड़े चितवन पे अबरू तन के ख़ंजर हो गए
ज़िक्र-ए-वस्ल आते ही वो जामे से बाहर हो गए
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