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काली शलवार

सआदत हसन मंटो

काली शलवार

सआदत हसन मंटो

MORE BYसआदत हसन मंटो

    सुनिए

    ख़ुलासा

    एक पेशा करने वाली औरत सुल्ताना की आत्मा की पीड़ा और उसके अंत: के सन्नाटे को इस कहानी में बयान किया गया है। पहले ख़ुदा-बख़्श उसे प्यार का झांसा देकर अंबाला से दिल्ली लेकर आता है और उसके बाद शंकर मात्र काली शलवार के बदले उसके साथ जिस तरह का फ़रेब करता है उससे अंदाज़ा होता है कि मर्द की नज़र में औरत की हैसियत केवल एक खिलौने की सी है। उसके दुख-दर्द और इसके नारीत्व की उसे कोई पर्वाह नहीं।