Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

शारिक़ जमाल

ग़ज़ल 8

अशआर 5

मुझ को अब कैसे पा सकेगा कोई

वक़्त था और गुज़र गया हूँ मैं

अबद के दोश पे सू-ए-अज़ल चले हैं कि हम

नया ही नक़्श कोई दहर का बनाते हैं

जाने ये तू है तिरा ग़म है कि दिल की वहशत

जानिब-ए-कोह-ए-निदा कोई बुलाता है मुझे

कुछ इस तरह से फ़ाश हुआ वो कि आइना

हर अक्स राज़-ए-हुस्न-ओ-अदा तक पहुँच गया

तिरे बदन में हैं कितनी क़यामतें पिन्हाँ

बड़े शदीद अज़ाबों में क़ैद रहता हूँ

"पेशावर" के और शायर

 

Recitation

Rekhta Gujarati Utsav I Vadodara - 5th Jan 25 I Mumbai - 11th Jan 25 I Bhavnagar - 19th Jan 25

Register for free
बोलिए