शेख़ क़ुद्रतुल्लाह क़ुदरत
अशआर 3
रख न आँसू से वस्ल की उम्मीद
खारे पानी से दाल गलती नहीं
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छलकने लगे अश्क-ए-गुलगूँ मिज़ा से
फिर आई है फ़स्ल-ए-बहार गरेबाँ
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गए वो दिन कि बहते थे पड़े नाले इन आँखों से
सर-ए-मिज़्गाँ तलक इक अश्क अब आता है मुश्किल से
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