सरफ़राज़ नवाज़
ग़ज़ल 11
अशआर 13
बाप ज़ीना है जो ले जाता है ऊँचाई तक
माँ दुआ है जो सदा साया-फ़िगन रहती है
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
इस गए साल बड़े ज़ुल्म हुए हैं मुझ पर
ऐ नए साल मसीहा की तरह मिल मुझ से
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
बे-सदा सी किसी आवाज़ के पीछे पीछे
चलते चलते मैं बहुत दूर निकल जाता हूँ
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
ख़ुदा करे कि वही बात उस के दिल में हो
जो बात कहने की हिम्मत जुटा रहा हूँ मैं
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
हम अपने शहर से हो कर उदास आए थे
तुम्हारे शहर से हो कर उदास जाना था
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए