पीर शेर मोहम्मद आजिज़
ग़ज़ल 8
अशआर 9
न तो मैं हूर का मफ़्तूँ न परी का आशिक़
ख़ाक के पुतले का है ख़ाक का पुतला आशिक़
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere