संपूर्ण
परिचय
ग़ज़ल12
नज़्म9
शेर16
ई-पुस्तक58
चित्र शायरी 3
वीडियो1
क़ितआ24
रुबाई12
लेख1
तंज़-ओ-मज़ाह1
नरेश कुमार शाद
ग़ज़ल 12
नज़्म 9
अशआर 16
अक़्ल से सिर्फ़ ज़ेहन रौशन था
इश्क़ ने दिल में रौशनी की है
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ज़िंदगी नाम है जुदाई का
आप आए तो मुझ को याद आया
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- ग़ज़ल देखिए
तू मिरे ग़म में न हँसती हुई आँखों को रुला
मैं तो मर मर के भी जी सकता हूँ मेरा क्या है
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- ग़ज़ल देखिए
महफ़िल उन की साक़ी उन का
आँखें अपनी बाक़ी उन का
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महसूस भी हो जाए तो होता नहीं बयाँ
नाज़ुक सा है जो फ़र्क़ गुनाह ओ सवाब में
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