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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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जमाल पानीपती

1927 - 2005 | कराची, पाकिस्तान

आलोचक व शायर। विख्यात आलोचक सलीम अहमद के समकालीन

आलोचक व शायर। विख्यात आलोचक सलीम अहमद के समकालीन

जमाल पानीपती

ग़ज़ल 5

 

अशआर 2

क्या हो गया गुलशन को साकित है फ़ज़ा कैसी

सब शाख़ शजर चुप हैं हिलता नहीं पत्ता भी

दम-ब-दम उठती हैं किस याद की लहरें दिल में

दर्द रह रह के ये करवट सी बदलता क्या है

 

दोहा 6

कैसे कैसे वीर सूरमा जग में जिन का मान

जग से जीते समय से हारे समय बड़ा बलवान

मोती मूंगे कंकर पत्थर बचे कोई भाई

समय की चक्की सब को पीसे क्या पर्बत क्या राई

सदा उजला दिन ही रहे और सदा काली रेन

रंग बदलता जाए समय और टुक-टुक देखें नैन

समय के सारे खेल हैं प्यारे कह गए जगत 'कबीर'

आप हँसाए आप रुलाये आप बँधाए धीर

समय की रचना समय का फेर और समय के सब बहरूप

क्या अँधियारे क्या उजियाले क्या छाँव क्या धूप

पुस्तकें 3

 

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