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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Bilqis Zafirul Hasan's Photo'

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

1938 | दिल्ली, भारत

भारत की महत्वपूर्ण शायरात में शामिल

भारत की महत्वपूर्ण शायरात में शामिल

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

ग़ज़ल 23

नज़्म 11

अशआर 22

अनहोनी कुछ ज़रूर हुई दिल के साथ आज

नादान था मगर ये दिवाना कभी था

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हर-दिल-अज़ीज़ वो भी है हम भी हैं ख़ुश-मिज़ाज

अब क्या बताएँ कैसे हमारी नहीं बनी

दर बदर की ख़ाक थी तक़दीर में

हम लिए काँधों पे घर चलते रहे

ख़ुद पे ये ज़ुल्म गवारा नहीं होगा हम से

हम तो शो'लों से गुज़़रेंगे सीता समझें

अपनी तो कोई बात बनाए नहीं बनी

कुछ हम कह सके तो कुछ उस ने नहीं सुनी

पुस्तकें 8

 

ऑडियो 7

कब इक मक़ाम पे रुकती है सर-फिरी है हवा

कब एक रंग में दुनिया का हाल ठहरा है

कोई आहट कोई सरगोशी सदा कुछ भी नहीं

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