अज़हर अदीब
ग़ज़ल 16
अशआर 34
हम ने घर की सलामती के लिए
ख़ुद को घर से निकाल रक्खा है
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हम ने घर की सलामती के लिए
ख़ुद को घर से निकाल रक्खा है
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तू अपनी मर्ज़ी के सभी किरदार आज़मा ले
मिरे बग़ैर अब तिरी कहानी नहीं चलेगी
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तू अपनी मर्ज़ी के सभी किरदार आज़मा ले
मिरे बग़ैर अब तिरी कहानी नहीं चलेगी
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निकल आया हूँ आगे उस जगह से
जहाँ से लौट जाना चाहिए था
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