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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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अर्श सिद्दीक़ी

1927 - 1997 | मुल्तान, पाकिस्तान

अर्श सिद्दीक़ी

ग़ज़ल 45

नज़्म 9

अशआर 11

हाँ समुंदर में उतर लेकिन उभरने की भी सोच

डूबने से पहले गहराई का अंदाज़ा लगा

इक तेरी बे-रुख़ी से ज़माना ख़फ़ा हुआ

संग-दिल तुझे भी ख़बर है कि क्या हुआ

हम कि मायूस नहीं हैं उन्हें पा ही लेंगे

लोग कहते हैं कि ढूँडे से ख़ुदा मिलता है

वो अयादत को तो आया था मगर जाते हुए

अपनी तस्वीरें भी कमरे से उठा कर ले गया

देख रह जाए तू ख़्वाहिश के गुम्बद में असीर

घर बनाता है तो सब से पहले दरवाज़ा लगा

पुस्तकें 1

 

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