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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Anwar Jamal Anwar's Photo'

अनवर जमाल अनवर

1944 | लखनऊ, भारत

अनवर जमाल अनवर

ग़ज़ल 6

अशआर 11

शहर की गलियों और सड़कों पर फिरते हैं मायूसी में

काश कोई 'अनवर' से पूछे ऐसे बे-घर कितने हैं

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सच ये है हम ही मोहब्बत का सबक़ पढ़ सके

वर्ना अन-पढ़ तो थे हम को पढ़ाने वाले

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हुस्न ऐसा कि ज़माने में नहीं जिस की मिसाल

और जमाल ऐसा कि ढूँडा करे हर ख़्वाब-ओ-ख़याल

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तुम्हारे दिल में कोई और भी है मेरे सिवा

गुमान तो है ज़रा सा मगर यक़ीन नहीं

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है तक़ाज़ा-ए-तहज़ीब 'अनवर'

मत कहो वो कि जो मुँह में आए

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