अंजुम लुधियानवी के शेर
दिल हर ज़िद मनवा लेता है
ये बच्चा शैतान बहुत है
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ख़ुशबुएँ फूट के रोई होंगी
गुल हवाओं में जो बिखरा होगा
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रंग ही से फ़रेब खाते रहें
ख़ुशबुएँ आज़माना भूल गए
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टैग : रंग
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दिल बुझा बुझा हो तो क्या बुरा है रोने में
बारिशों के बा'द अंजुम आसमाँ निखरता है
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धूप निकली है बारिशों के ब'अद
वो अभी रो के मुस्कुराए हैं
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टैग : मुस्कुराहट
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ख़ुद-कुशी करने में भी नाकाम रह जाते हैं हम
कौन अमृत घोल देता है हमारे ज़हर में
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टैग : ख़ुदकुशी
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सुनते हैं इक हवा का झोंका
इक ख़ुशबू को ले भागा है
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तेरे जाते ही ये हुआ महसूस
आइने मुस्कुराना भूल गए
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आप के भी हो जाएँगे हम
पहले अपने तो हो लें
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बस्ती में इक फूल खिला
महलों महलों चर्चा है
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दिल का क्या करूँ यारो मानता नहीं मेरी
अपने दिल की सुनता है अपने मन की करता है
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नींद क्यूँ टूट गई आख़िर-ए-शब
कौन मेरे लिए तड़पा होगा
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सुब्ह का ख़्वाब उम्र भर देखा
और फिर नींद आ गई 'अंजुम'
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दोस्ती बंदगी वफ़ा-ओ-ख़ुलूस
हम ये शम्अ' जलाना भूल गए
राह-ए-वफ़ा पर चलने वाले
ये रस्ता वीरान बहुत है
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उस ने दरिया को लगा कर ठोकर
प्यास की उम्र बढ़ाई होगी
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