अमृतांशु शर्मा
ग़ज़ल 14
अशआर 2
वो ख़ुश हुआ कि उस को ख़सारा नहीं हुआ
मैं रो रहा था मेरा सहारा चला गया
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वो ख़ुश हुआ कि उस को ख़सारा नहीं हुआ
मैं रो रहा था मेरा सहारा चला गया
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कूज़ा जैसे कि छलक जाए है भर जाने पर
कोई आँसू ही बहा दे मिरे मर जाने पर
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कूज़ा जैसे कि छलक जाए है भर जाने पर
कोई आँसू ही बहा दे मिरे मर जाने पर
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दोहा 2
सज-धज कर बैठी रही चौखट पर बेचैन
साजन घर आए नहीं कैसे काटूँ रैन
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सज-धज कर बैठी रही चौखट पर बेचैन
साजन घर आए नहीं कैसे काटूँ रैन
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अध-जल गागर कर रही ख़ुद अपने पर नाज़
जब जब मत मारी गई गूँज उठी आवाज़
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अध-जल गागर कर रही ख़ुद अपने पर नाज़
जब जब मत मारी गई गूँज उठी आवाज़
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