उफ़ुक़ लखनवी
नज़्म 2
अशआर 1
साक़ी कुछ आज तुझ को ख़बर है बसंत की
हर सू बहार पेश-ए-नज़र है बसंत की
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere