aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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नई नस्ल के अग्रणी शायर।

नई नस्ल के अग्रणी शायर।

तहज़ीब हाफ़ी

ग़ज़ल 36

नज़्म 1

 

अशआर 23

मैं कि काग़ज़ की एक कश्ती हूँ

पहली बारिश ही आख़िरी है मुझे

तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया

इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया

ये एक बात समझने में रात हो गई है

मैं उस से जीत गया हूँ कि मात हो गई है

अपनी मस्ती में बहता दरिया हूँ

मैं किनारा भी हूँ भँवर भी हूँ

दास्ताँ हूँ मैं इक तवील मगर

तू जो सुन ले तो मुख़्तसर भी हूँ

वीडियो 5

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
At a Hyderabad mushaira

तहज़ीब हाफ़ी

Reciting his own poetry

तहज़ीब हाफ़ी

Sham e Ghazal Chowk Qureshi Muzaffargarh

तहज़ीब हाफ़ी

इक तिरा हिज्र दाइमी है मुझे

तहज़ीब हाफ़ी

सहरा से आने वाली हवाओं में रेत है

तहज़ीब हाफ़ी

ऑडियो 3

तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया

पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगा

ये एक बात समझने में रात हो गई है

Recitation

 

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