ताहिर शहीर
नज़्म 1
अशआर 1
अज़ीज़-तर मुझे रखता है वो रग-ए-जाँ से
ये बात सच है मिरा बाप कम नहीं माँ से
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere