सिराज लखनवी
ग़ज़ल 32
नज़्म 2
अशआर 55
आँखें खुलीं तो जाग उठीं हसरतें तमाम
उस को भी खो दिया जिसे पाया था ख़्वाब में
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
हाँ तुम को भूल जाने की कोशिश करेंगे हम
तुम से भी हो सके तो न आना ख़याल में
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
कहाँ हैं आज वो शम-ए-वतन के परवाने
बने हैं आज हक़ीक़त उन्हीं के अफ़्साने
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
आप के पाँव के नीचे दिल है
इक ज़रा आप को ज़हमत होगी
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
ये आधी रात ये काफ़िर अंधेरा
न सोता हूँ न जागा जा रहा है
- अपने फ़ेवरेट में शामिल कीजिए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए