शायर जमाली
ग़ज़ल 27
अशआर 2
छुप गया ईद का चाँद निकल कर देर हुई पर जाने क्यों
नज़रें अब तक टिकी हुई हैं मस्जिद के मीनारों पर
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere