शमीम शहज़ाद
ग़ज़ल 9
नज़्म 5
अशआर 1
हर एक कूचा है साकित हर इक सड़क वीराँ
हमारे शहर में तक़रीर कर गया ये कौन
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere