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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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शबनम शकील

1942 - 2013 | कराची, पाकिस्तान

अपनी शायरी में गहन स्त्री चेतना की अक्कासी करने वाली शायरा

अपनी शायरी में गहन स्त्री चेतना की अक्कासी करने वाली शायरा

शबनम शकील

ग़ज़ल 53

नज़्म 3

 

अशआर 2

चलते रहे तो कौन सा अपना कमाल था

ये वो सफ़र था जिस में ठहरना मुहाल था

चलते रहे तो कौन सा अपना कमाल था

ये वो सफ़र था जिस में ठहरना मुहाल था

अब मुझ को रुख़्सत होना है अब मेरा हार-सिंघार करो

क्यूँ देर लगाती हो सखियो जल्दी से मुझे तय्यार करो

अब मुझ को रुख़्सत होना है अब मेरा हार-सिंघार करो

क्यूँ देर लगाती हो सखियो जल्दी से मुझे तय्यार करो

 

पुस्तकें 3

 

वीडियो 5

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शबनम शकील

शबनम शकील

वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
At a mushaira

शबनम शकील

Poochhte kya ho kyun kar hum pahonche hain aise haalon mein

शबनम शकील

Reciting own poetry

शबनम शकील

Reciting own poetry

शबनम शकील

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