सरफ़राज़ आरिश
ग़ज़ल 10
नज़्म 1
अशआर 1
मैं संतरी हूँ औरतों की जेल का हुज़ूर
दो-चार क़ैदी इस लिए कम गिन रहा हूँ मैं
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere