साजिद प्रेमी
ग़ज़ल 11
अशआर 2
फूल ही फूल याद आते हैं
आप जब जब भी मुस्कुराते हैं
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तिरा दीदार हो हसरत बहुत है
चलो कि नींद भी आने लगी है
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