साजिद जावेद साजिद
अशआर 1
घर की इस बार मुकम्मल मैं तलाशी लूँगा
ग़म छुपा कर मिरे माँ बाप कहाँ रखते थे
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere