सईद शहीदी
ग़ज़ल 31
अशआर 3
कैसे सुकून पाऊँ तुझे देखने के बा'द
अब क्या ग़ज़ल सुनाऊँ तुझे देखने के बा'द
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नशेमन पर नशेमन इस क़दर ता'मीर करता जा
कि गिरते गिरते बिजली आप ख़ुद बे-ज़ार हो जाए
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ख़ुद आग दे के अपने नशेमन को आप ही
बिजली से इंतिक़ाम लिया है कभी कभी
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