सबा इकराम के शेर
छुप जाएँ कहीं आ कि बहुत तेज़ है बारिश
ये मेरे तिरे जिस्म तो मिट्टी के बने हैं
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere