रहमान फ़ारिस
ग़ज़ल 16
नज़्म 8
अशआर 7
तुम तो दरवाज़ा खुला देख के दर आए हो
तुम ने देखा नहीं दीवार को दर होने तक
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वो पहले सिर्फ़ मिरी आँख में समाया था
फिर एक रोज़ रगों तक उतर गया मुझ में
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शजर ने पूछा कि तुझ में ये किस की ख़ुशबू है
हवा-ए-शाम-ए-अलम ने कहा उदासी की
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वीडियो 11
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